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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2646
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास

अध्याय - 11

औपनिवेशिक काल के दौरान भू-राजस्व व्यवस्था :
स्थायी बंदोबस्त, रैयतवाड़ी तथा महलवाड़ी व्यवस्था

Land Revenue System During Colonial Period:
Permanent Settlement, Raiyatwari and Mahaalwari System

 

 


प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त से क्या आशय है? लार्ड कार्नवालिस द्वारा स्थायी बंदोबस्त लागू करने के क्या कारण थे?

अथवा
"स्थायी बंदोबस्त से कृषि में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुये।' समीक्षा कीजिये।
अथवा
रैयतवाड़ी बन्दोबस्त से क्या अभिप्राय है? टॉमस मुनरो द्वारा स्थापित रैयतवाड़ी बन्दोबस्त के क्या परिणाम हुये?
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. रैयतवाडी व्यवस्था के दोष को बताइये।
2. रैयतवाड़ी बंदोबस्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
3. पट्टेदारी व्यवस्था क्या थी?
4. औपनिवेशिक सरकार पर टिप्पणी लिखिए।

उत्तर -

स्थायी बन्दोवस्त

ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सरकार के उपरोक्त प्रयासों के फलस्वरूप न सरकार की आय निश्चित हो सकी और न ही किसान रैयतों की दशा सुधर सकी, और न किसान रैयतों की दशा सुधर सकी अन्ततः 1793 ई. में लार्ड कार्नवालिस ने स्थायी बन्दोबस्त की घोषणा की। इस बन्दोबस्त के अन्तर्गत जमींदार को उसकी भूमि का स्वामी स्वीकार करते हुये उसे उस भूमि के समस्त अधिकार दे दिये गये। जमींदार को सम्पूर्ण लगान का 10 / 11 भाग सरकार कोष में जमा करना होता था और निश्चित तिथि पर राजस्व न देने पर उसकी भूमि नीलाम की जा सकती थी। इस व्यवस्था से सरकार का राजस्व निश्चित हो गया और जमींदार यदि उपज को बढ़ाकर अथवा किसानों से अधिक राशि वसूल करता तो इसका लाभ उसे ही प्राप्त होता था।

स्थायी बन्दोबस्त में राजस्व की निर्धारित राशि बहुत अधिक थी जो कि जमींदारों और किसानों के लिये बहुत ही कष्टप्रद प्रतीत होती थी परन्तु औपनिवेशिक सरकार के लिये यह बहुत लाभदायक सिद्ध हुयी। इस व्यवस्था के क्रियान्वित होने के उपरान्त बहुत से पुराने जमींदार कृषकों के प्रति सहिष्णु बने रहने के कारण लगान अधिक वसूल करने में असमर्थ रहे, अन्ततः उनकी भूमि नीलाम कर दी गयी। नीलामी भूमि को क्रय करने वाले वहाँ के बनिये अथवा व्यापारी थे, जिनका किसानों से कोई सम्बन्ध नहीं था, वे लोग किसानों से अधिक से अधिक लगान बलपूर्वक वसूल करते थे। इस प्रकार स्थायी बदोबस्त की प्रमुख विशेषतायें थीं।

स्थायी बन्दोबस्त से भूमि सम्बन्धों में अनेक क्रान्तिकारी परिवर्तनं दृष्टिगत हुये। इस बन्दोबस्त के दो शताब्दी बाद ज्ञात हुआ कि बंगाल की आधी भू-सम्पत्ति बिक्री द्वारा हस्तांतरित हो चुकी थी और भूमि का अधिकांश भाग कलकत्ता के व्यापारिक एवं धनिक वर्ग के अधिकार में पहुँच गया था। स्थायी बन्दोबस्त से सरकार को यह लाभ हुआ कि उसकी आय निश्चित हो गयी और भू-राजस्व, जो उसकी आय का मुख्य स्रोत था, निर्धारित राशि के रूप में मिलने लगा। साथ ही एक निष्ठावान वर्ग अर्थात् नये जमींदारों का सहयोग प्राप्त हुआ क्योंकि इन नये जमींदारों को इस बन्दोबस्त से लाभ हुआ था और वे अंग्रेज सरकार के समर्थक बन गये।

स्थायी बन्दोबस्त के अन्तर्गत लॉर्ड कार्नवालिस ने ऐसी पट्टेदारी की व्यवस्था का सूत्रपात किया था जिसके आधार पर जमींदार और कृषक में एक अनुबंध निर्धारित हो जाता था और पट्टे के माध्यम से लिखित रूप से यह निश्चित रहता था कि जमींदार कृषक से कितना लगान लेगा। उनका विचार था कि लिखित पट्टे की व्यवस्था से कृषक के अधिकार सुरक्षित रहेंगे, परन्तु यह व्यवस्था कृषक के शोषण को नहीं रोक सकी। क्योंकि जमींदार सरलता से पट्टे में लिखित लगान की रकम को बढ़ा देता था और जब भी चाहे बिना किसी कारण के किसान को भूमि से बेदखल भी कर सकता था। यह स्थायी बंदोबस्त कालान्तर में उड़ीसा, मद्रास के उत्तरी जिलों तथा बनारस में भी लागू कर दिया गया।

रैयतवाडी बन्दोबस्त

रैयतवाड़ी बन्दोबस्त का जनक था टॉमस मुनरो यह बन्दोबस्त उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में मद्रास व बम्बई प्रान्तों के कुछ क्षेत्रों में लागू किया गया था। इन क्षेत्रों में कोई वर्ग जमींदार वर्ग नहीं थे, जिनके साथ बंदोबस्त किया जाता। अतः इन क्षेत्रों में बंदोबस्त सीधा काश्तकारों अर्थात् रैयतों से किया गया था। रैयत को भूमि का स्वामी स्वीकार नहीं कर भूमि से सम्बन्धित सभी अधिकार उसे दे दिये गये थे। रैयतवाडी प्रदेशों में सरकार उन्हीं उपायों को अपनाकर राजस्व वसूल करती थी जैसे स्थायी बन्दोबस्त के प्रदेशों में जमींदार वर्ग शोषण के नित नये-नये उपाय अपनाकर अधिक से अधिक लगान वसूल करता था। फलस्वरूप भूमि का मालिक होते हुये भी किसान एक दास सदृश बनकर रह गया था। प्रसिद्ध इतिहासकार आर. सी. दत्त के शब्दों में "इस बंदोबस्त से कम्पनी की रैयतों पर जकड़ कर स्वरूप वही हो गया जो दास के ऊपर उनके स्वामियों का रहता है और कम्पनी उनसे वे समस्त साधन भी छीन सकती थी जो उन्हें जीवित रखने के लिये अनिवार्य थे" अर्थात् इस रैयतवाड़ी बंदोबस्त का प्रमुख लक्ष्य यही था कि भूमि से उत्पन्न उपज का अधिकाधिक भाग लगान के रूप में सरकार को प्राप्त हो सके।

1823 ई. में बम्बई की प्रशासनिक व्यवस्था के प्रतिवेदन में लगान सम्बन्धी मूल्यांकन करते हुये कृषकों की दुर्दशा का वर्णन इस प्रकार किया है- "इन असहाय और बेबस कृषकों पर कानूनी और गैर-कानूनी ढंग से अधिकाधिक लगान वसूल करने के लिये नाना प्रकार के अत्याचार किये जाते हैं। लगान की ऊँची रकम दे पाने में यदि ये असमर्थ रहे तो कहीं-कहीं पर इसका अत्याचार किया जाता है कि उसका उल्लेख करना भी अपमानजनक है, सैकड़ों लोग इस आतंक से भयभीत होकर अपना घर व जमीन छोड़कर समीपवर्ती रियासतों में भाग गये, इस प्रकार भूमि का बहुत बड़ा भाग उजाड़ हो गया, कुछ क्षेत्रों में कुल कृषि योग्य भूमि के एक तिहाई भाग में ही खेती की जा रही है।

रैयतवाड़ी भूमि व्यवस्था के दोष 1852-1853 के दौरान कम्पनी के चार्टर के नवीनीकरण हेतु गठित संसदीय जाँच में स्पष्ट हुये, जिसे सरकारी अधिकारियों ने स्वंय स्वीकार किया था और मद्रास सरकार को इस सम्बन्ध में एक जाँच आयोग की नियुक्ति हेतु विवश होना पड़ा था। 1855 की इस आयोग की रिर्पोट में जिसके सभी सदस्य अंग्रेज ही थे।

सारांशतः राजस्व की दर बहुत ऊँची होने से राजस्व देने के बाद किसानों को पास इतनी पूंजी नहीं बचती थी कि वे भूमि सुधार लाकर उसका उत्पादन बढ़ा सकें। राजस्व विभाग के कर्मचारी केवल आतंक उत्पन्न कर लगान वसूल करना जानते थे उन्हें किसानों से रंगमात्र सहानुभूमि न थी। किसान को सूखे और अकाल के दौरान भी लगान देना पड़ता था, इसका परिणाम यह रहा कि किसानों के लिये साहूकार से ऋण लेना अपरिहार्य हो गया था। ब्रिटिश, शासन की स्थापना से पहले भूमि क्रय-विक्रय की वस्तु नहीं थी परन्तु इस शासन की स्थापना के पश्चात् ऋण लेने के लिये भूमि को गिरवी रखा जाने लगा। ऋण न चुका पाने की स्थिति में साहूकारों-महाजनों को भूमि पर स्वामित्व का अधिकार प्राप्त हो जाता था और चूँकि कृषक के पास आजीविका का एकमात्र साधन कृषि था, इसलिये वह भूमि पर फसल उगाने वाला मजदूर ( श्रमिक) बनकर रह जाता था। वह महाजन की प्रत्येक शर्त मानने के लिये विवश हो जाता था।

महलवाडी बंदोबस्त

महलवाड़ी बंदोबस्त के जनक थे होल्ट मैकें जी। 1819 ई. में अपने प्रतिवेदन में उन्होंने महलवाड़ी बंदोबस्त का सूत्रपात किया। यह बंदोबस्त उत्तर-पश्चिम प्रान्त, मध्य भारत और पंजाब में लागू किया गया। इस बंदोबस्त के अनुसार भूमि पर कर की इकाई ग्राम या महल अथवा एस्टेट को स्वीकार किया गया तथा भूमिकर एकत्रित करने का कार्यभार परिवार के सबसे बड़े व्यक्ति को सौंपा गया। अंग्रेज अधिकारियों ने इस बंदोबस्त का औचित्य स्पष्ट करते हुये व्यक्त किया था कि इस पद्धति को अपनाकर उन्होंने पुराने ग्राम समाजों को स्थापित रखने का प्रयत्न किया है, परन्तु ऐसा करने में वे सफल नहीं हुये क्योंकि कर निर्धारण पूरे गांव में किये जाने पर भी सरकारी तौर पर भूमि पर जमींदारों और पट्टीदारों के व्यक्तिगत अधिकार मान लिये गये थे, अन्ततः इस बन्दोबस्त में भी भूमि व्यापारियों तथा महाजनों के हाथ में पहुँच गयी, फलतः जमींदारी प्रथा के सभी दोष इस बंदोबस्त के क्षेत्र में भी उभरकर आये।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारत में सर्वप्रथम प्रवेश करने वाले विदेशी व्यापारी कौन थे? विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- भारत में डच शक्ति के आगमन को समझाते हुए डचों के पुर्तगालियों व अंग्रेजों से हुए संघर्षो पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  4. प्रश्न- फ्रांसीसियों के भारत आगमन एवं भारत में फ्रांसीसी शक्ति के विस्तार को समझाइए।
  5. प्रश्न- यूरोपीय डच कम्पनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  6. प्रश्न- अंग्रेजों का भारत में किस प्रकार प्रवेश हुआ संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  7. प्रश्न- यूरोपीय फ्रांसीसी कंपनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  8. प्रश्न- पुर्तगालियों की सफलता के कारण बताइये।
  9. प्रश्न- पुर्तगालियों के असफलता के कारण बताइये।
  10. प्रश्न- आंग्ल-फ्रेंच संघर्ष के विषय में बताते हुए इसके मुख्य कारणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- "अपनी अन्तिम असफलता के बावजूद भी डूप्ले भारतीय इतिहास का एक प्रतिभावान एवं तेजस्वी व्यक्तित्व है।" क्या आप प्रो. पी. ई. राबर्ट्स के डूप्ले की उपलब्धियों के सम्बन्ध में इस कथन से सहमत हैं?
  12. प्रश्न- भारत में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे?.
  13. प्रश्न- ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधीन भारत में हुए सामाजिक और आर्थिक अभावों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- अंग्रेजी कम्पनी के अधीन भारत में सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- "भारत में फ्राँसीसियों की असफलता का कारण डूप्ले था।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- भारत में साम्राज्य स्थापित करने में अंग्रेजों की सफलता के कारण बताइये।
  17. प्रश्न- प्लासी के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- बक्सर के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  19. प्रश्न- कर्नाटक के युद्ध अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की सदियों से परम्परागत शत्रुता का परिणाम थे, विवेचन कीजिये।
  20. प्रश्न- द्वितीय कर्नाटक युद्ध के कारणों और परिणामों की व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- उन महत्त्वपूर्ण कारणों का उल्लेख कीजिए जिनसे भारत में प्रभुत्व स्थापना के संघर्ष में फ्रांसीसियों को पराजय और अंग्रेजों को सफलता मिली।
  22. प्रश्न- क्लाइव की द्वितीय गवर्नरी में उसके कार्यों की समीक्षा कीजिये।
  23. प्रश्न- क्लाइव द्वारा बंगाल में द्वैध शासन की विवेचना कीजिये।
  24. प्रश्न- भारत में लार्ड क्लाइव के कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  25. प्रश्न- "प्रथम अफगान युद्ध भारत के इतिहास में अंग्रेजों की सबसे गम्भीर भूल थी।' समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष क्या था? इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- द्वैध शासन व्यवस्था के गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।
  28. प्रश्न- प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
  29. प्रश्न- बंगाल के कठपुतली नवाबों के कार्यकाल पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- बंगाल के द्वैध शासन से आप क्या समझते हैं?
  31. प्रश्न- द्वैध शासन की असफलता के क्या कारण थे?
  32. प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
  33. प्रश्न- नवाब सिराजुद्दौला के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- भारत में डच शक्ति के उत्थान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  35. प्रश्न- बक्सर का युद्ध (1764) तथा उसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  36. प्रश्न- लॉर्ड क्लाइव द्वारा किये गये सुधारों का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- 'क्लाइव भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था। स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- इलाहाबाद की सन्धि की प्रमुख शर्तें क्या थीं?
  39. प्रश्न- प्लासी युद्ध के महत्व की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- अलीनगर की सन्धि (सन् 1757 ई.) बताइये।
  41. प्रश्न- सिराजुद्दौला के विरुद्ध अंग्रेजों के मीर जाफर के साथ षड्यंत्र को स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- प्लासी के युद्ध (सन् 1757 ई.) के परिणाम बताइये।
  43. प्रश्न- राबर्ट क्लाइव के विषय में आप क्या जानते हैं?
  44. प्रश्न- बक्सर के युद्ध का महत्त्व बताइये।
  45. प्रश्न- बंगाल में द्वैध शासन का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  46. प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
  47. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के सुधारों की विवेचना कीजिए।
  48. प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के अधीन विदेशी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- 1773 के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के गुण-दोष क्या थे?
  50. प्रश्न- हैदर अली के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  51. प्रश्न- प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
  52. प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक एवं राजस्व सुधारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  53. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय नन्दकुमार का क्या मामला था?
  54. प्रश्न- मराठों के पतन के क्या कारण थे?
  55. प्रश्न- पानीपत के युद्ध की प्रमुख घटनाएँ क्या थीं?
  56. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय अवध की बेगमों का क्या मामला था?
  57. प्रश्न- लार्ड कॉर्नवालिस के सुधारों की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- बंगाल की स्थायी भूमि कर व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- कार्नवालिस ने वॉरेन हेस्टिंग्ज का कार्य पूर्ण किया। विवेचना कीजिए।
  60. प्रश्न- तृतीय मैसूर युद्ध के क्या कारण थे?
  61. प्रश्न- भूमि कर नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  62. प्रश्न- एक साम्राज्य निर्माता के रूप में वेलेजली की भूमिका का मूल्याँकन कीजिए।
  63. प्रश्न- टीपू और वेलेजली के मध्य चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध की कारणों सहित व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- लार्ड वेलेजली की सहायक सन्धि प्रणाली को समझाते हुए उसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- वेलेजली तथा फ्रांसीसियों के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  66. प्रश्न- टीपू सुल्तान की पराजय के कारण बताइए।
  67. प्रश्न- वेलेजली के अधीन अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार एवं कंपनी के प्रदेश की सीमाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  68. प्रश्न- लार्ड वेलेजली के आगमन के समय भारत की राजनीतिक स्थितियाँ क्या थीं?
  69. प्रश्न- वेलेजली की सहायक सन्धि की शर्तें क्या थीं?
  70. प्रश्न- वेलेजली के अवध के साथ सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
  71. प्रश्न- वेलेजली की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  72. प्रश्न- ठगी को समाप्त करने के लिए लार्ड विलियम बैंटिक ने कहां तक सफलता प्राप्त की?
  73. प्रश्न- ब्रिटिश कम्पनी की भारत में आर्थिक एवं शैक्षिक नीति की विवेचना कीजिए।
  74. प्रश्न- लॉर्ड विलियम बेंटिक के प्रशासनिक एवं सामाजिक सुधारों का मूल्यांकन कीजिए।
  75. प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा तथा अन्य क्रूर प्रथाओं को बन्द करने की क्या नीति अपनाई? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  76. प्रश्न- विलियम बैंटिक के समाचार पत्रों के प्रति उदार नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  77. प्रश्न- विलियम बैंटिक के द्वारा नैतिक तथा बौद्धिक विकास के लिए किये गये शैक्षणिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- बैंटिक के वित्तीय तथा न्यायिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  79. प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- ब्रिटिश भारत में स्त्रियों की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- भारत पर ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  82. प्रश्न- अंग्रेजों द्वारा पारित सामाजिक कानून पर निबन्ध लिखिए।
  83. प्रश्न- 1833 के चार्टर एक्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- लार्ड डलहौजी की 'हड़पनीति से आप क्या समझते हैं? इस नीति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को कैसे प्रोत्साहन मिला?
  85. प्रश्न- - डलहौजी के द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा विद्युत तार एवं डाक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा रेलवे विभाग में क्या सुधार किये गये?
  88. प्रश्न- लार्ड डलहौजी के प्रशासनिक एवं सैनिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  89. प्रश्न- भारत के आधुनिकीकरण में लार्ड डलहौजी का योगदान क्या था?
  90. प्रश्न- लार्ड डलहौजी को शिक्षा सम्बन्धी सुधारों में कहां तक सफलता प्राप्त हुई? स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- 1853 के चार्टर एक्ट पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- रणजीत सिंह का परिचय देते हुए अफगानों एवं अंग्रेजों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  93. प्रश्न- अंग्रेजों और सिक्खों के प्रथम युद्ध के कारण व प्रसिद्ध घटनाओं और परिणामों का वर्णन कीजिये।
  94. प्रश्न- रणजीत सिंह का डोंगरों और नेपालियों से सम्बन्ध को संक्षिप्त में समझाइये |
  95. प्रश्न- रणजीत सिंह के प्रशासन के अंतर्गत भूमिकर एवं न्याय प्रशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- रणजीत सिंह ने सैनिक प्रशासन में कहाँ तक सफलता प्राप्त की? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  97. प्रश्न- प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- सिक्खों और अंग्रेजों के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  99. प्रश्न- हैदराबाद के एक राज्य के रूप में उदय की परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
  100. प्रश्न- हैदराबाद अकस्मात ही विघटनकारी शक्तियों का शिकार हो गया था, विवेचनात्मक उत्तर दीजिये।
  101. प्रश्न- 1724-1802 तक की हैदराबाद की राजनीतिक गतिविधियों का अवलोकन कीजिये।
  102. प्रश्न- टीपू की शासन प्रणाली का सविस्तार से वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- मैसूर राज्य का विस्तृत अध्ययन कीजिए।
  104. प्रश्न- एंग्लो-मैसूर युद्धों का समीक्षात्मक अध्ययन कीजिये।
  105. प्रश्न- टीपू सुल्तान और मैसूर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  106. प्रश्न- मैसूर व इतिहास लेखन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  107. प्रश्न- 18वीं सदी में, मैसूर की स्थिति से संक्षिप्त रूप से परिचित कराइये।
  108. प्रश्न- 1399 ईस्वी से अठारहवीं सदी के मध्य मैसूर राज्य की स्थिति से अवगत कराइये।
  109. प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त से क्या आशय है? लार्ड कार्नवालिस द्वारा स्थायी बंदोबस्त लागू करने के क्या कारण थे?
  110. प्रश्न- ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर भिन्न-भिन्न कर प्रणाली लगाने का क्या उद्देश्य रहा?
  111. प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त ने किस प्रकार जमींदारी व्यवस्था को जन्म दिया?
  112. प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण के कारणों, परिणामों एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
  113. प्रश्न- 19वीं शताब्दी के प्रमुख सामाजिक-धार्मिक आन्दोलनों को बताइये।
  114. प्रश्न- क्या राजा राममोहन राय को 'आधुनिक भारत का पिता' कहना उचित है?
  115. प्रश्न- भारतीय सामाजिक तथा धार्मिक पुनर्जागरण में आर्य समाज की देनों का उल्लेख कीजिए।
  116. प्रश्न- ब्रह्म समाज के प्रमुख सिद्धान्तों व कार्यों का वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- भारत के सामाजिक-धार्मिक पुनरुत्थान में स्वामी विवेकानन्द के योगदान का विवरण दीजिए।
  118. प्रश्न- 19-20वीं सदी के जातिवाद विरोधी आंदोलनों का वर्णन कीजिए।
  119. प्रश्न- अहिंसा और सत्याग्रह पर गाँधी जी के विचारों का मूल्याँकन कीजिए।
  120. प्रश्न- रामकृष्ण परमहंस पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  121. प्रश्न- अछूतोद्धार हेतु भीमराव अम्बेडकर के किए गये कार्यों का वर्णन कीजिए।
  122. प्रश्न- आधुनिक भारत में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  123. प्रश्न- एक शासक के रूप में अशोक के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  124. प्रश्न- अस्पृश्यता से आप क्या समझते हैं? इसकी समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  125. प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण का क्या अर्थ है?
  126. प्रश्न- ब्रह्म समाज से आप क्या समझते हैं?
  127. प्रश्न- प्रार्थना समाज ने समाज सुधार की दिशा में क्या कार्य किए?
  128. प्रश्न- ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के समाज सुधार में किए गए कार्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  129. प्रश्न- आर्य समाज की मुख्य शिक्षाएँ व समाज सुधार में किए गए योगदान का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- थियोसोफिकल सोसाइटी पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  131. प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  132. प्रश्न- भारत में 19वीं सदी में हुए विभिन्न सुधारवादी आन्दोलनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  133. प्रश्न- अश्पृश्यता निवारण के लिए महात्मा गाँधी की सेवाओं का मूल्याँकन कीजिए।
  134. प्रश्न- 20वीं सदी में हुए प्रमुख सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  135. प्रश्न- समाजवाद पर नेहरू के विचारों का उल्लेख कीजिए।
  136. प्रश्न- आधुनिक काल में जाति प्रथा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  137. प्रश्न- भारतीय समाज पर पड़े दो पाश्चात्य प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
  138. प्रश्न- नाविक विद्रोह 1946 का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  139. प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
  140. प्रश्न- होमरूल से आप क्या समझते हैं?
  141. प्रश्न- साम्प्रदायिक निर्णय 1932 ई. की समीक्षा कीजिए।
  142. प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  143. प्रश्न- श्री अरविन्द घोष के जीवन पर प्रकाश डालिए।
  144. प्रश्न- रामकृष्ण मिशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  145. प्रश्न- चैतन्य महाप्रभु पर एक टिप्पणी लिखिए।
  146. प्रश्न- 'पुरुषार्थ आश्रमों के मनोनैतिक आधार हैं। टिप्पणी कीजिए।
  147. प्रश्न- उन्नीसवीं सदीं में सामाजिक जागरण के क्या कारण थे?

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